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8 Oct 2017 · 1 min read

चिरसंगिनी बनकर

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जब कभी कोई पल खोजती हु चैन की साँस लेने को,

उस साँस में समा जाती है

तुम्हारी याद

चिरसंगिनी की तरह

जब कभी एक पल सोचती हूँ

याद आती है किसी फूल की

उस फूल में समाई होती है

तुम्हारी याद खुशबु बनकर

चिरसंगिनी की तरह

जब कभी बैठती हु झील किनारे

देखती हूँ चाँद को पानी में बहुत दूर

ऐसे ही समाना चाहती हूँ तुम्हारी बाहो में

चाँद बनकर यतार्थ से दूर

चिरसंगिनी बनकर

Language: Hindi
Tag: गीत
230 Views
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