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17 Jun 2016 · 1 min read

गुरूर

उड़ते हुए परिन्दों के पर नहीं काटा करते
जंगल के शेर को लोहे की
सलाखों के पीछे नहीं डाला करते

इम्तिहान चरागों का भी लेती है आंधियां
वक़्त के पंजों से इंसान भागा नहीं करते

बड़े हौसले वालों को भी देखा है टूटते यहाँ
घमण्ड न कर, वक़्त का दरिया
जब बाँध को तोड़ता है
उसके सैलाब में सब खण्डहर हो जाता है

गुरुर का टूटना अच्छा है दोस्तों
वक़्त तुम्हें फिर से इंसान बना देता है |
शिशिर कुमार

Language: Hindi
426 Views
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