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12 Jul 2017 · 1 min read

ग़ज़ल

तन्हा से छत पे बैठे हो, ठीक ठाक तो हो ?
क्या बात?खुद से लड़ते हो ठीक ठाक तो हो?

जगजीत सिंह को सुनते हो ,ठीक ठाक तो हो ?
ग़ालिब के शेर पढ़ते हो ठीक ठाक तो हो?

क्यों खुद ही हँसने लगते हो ठीक ठाक तो हो ?
बिन बात रोने लगते हो ठीक ठाक तो हो ?

दुनिया की बातें करना,दुनिया की बातें सुनना,
तुम किससे बात करते हो ठीक ठाक तो हो?

सूबे सिंह सुजान

2 Likes · 2 Comments · 290 Views
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