Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Sep 2017 · 1 min read

कुर्सियाँ अपनी लेकर किधर जाएंगे

कुर्सियाँ अपनी लेकर किधर जाएंगे
ये तो नेता हैं खुद ही उतर जायेंगे

देखना वोट पाने को नेता यहां
अब दिलों में जहर कितना भर जाएंगे

बात घर की सड़क पर ले आये हो जब
सब तमाशा ही अब देखकर जाएंगे

देश पर आंच आने न देंगे कभी
जान हम अपनी कुर्बान कर जाएंगे

रेशमी डोर में रिश्तों के मोती हैं
खींचने से ये मोती बिखर जायेंगे

रुष्ट हो जाएगी अपनी कुदरत बहुत
काटे धरती के जब भी शजर जाएंगे

नफरतों के सिवा कुछ मिला ही नहीं
प्यार पाया तो हम भी सँवर जायेगे

आप ही आप आएंगे हमको नज़र
‘अर्चना’ देखिये हम जिधर जाएंगे

डॉ अर्चना गुप्ता
08-09-2017

285 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
क्या रखा है? वार में,
क्या रखा है? वार में,
Dushyant Kumar
हंस
हंस
Dr. Seema Varma
बस कट, पेस्ट का खेल
बस कट, पेस्ट का खेल
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
हमने जब तेरा
हमने जब तेरा
Dr fauzia Naseem shad
सिखों का बैसाखी पर्व
सिखों का बैसाखी पर्व
कवि रमेशराज
"छोटी चीजें"
Dr. Kishan tandon kranti
नाम सुनाता
नाम सुनाता
Nitu Sah
बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
#Dr Arun Kumar shastri
#Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
'आभार' हिन्दी ग़ज़ल
'आभार' हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
Manisha Manjari
*आऍं-आऍं राम इस तरह, भारत में छा जाऍं (गीत)*
*आऍं-आऍं राम इस तरह, भारत में छा जाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
2721.*पूर्णिका*
2721.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Kabhi kabhi hum
Kabhi kabhi hum
Sakshi Tripathi
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
🙏
🙏
Neelam Sharma
याद आयेगा हमें .....ग़ज़ल
याद आयेगा हमें .....ग़ज़ल
sushil sarna
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
Manju sagar
मन को आनंदित करे,
मन को आनंदित करे,
Rashmi Sanjay
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
Khaimsingh Saini
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
Shyam Sundar Subramanian
"बाजरे का जायका"
Dr Meenu Poonia
शीर्षक - संगीत
शीर्षक - संगीत
Neeraj Agarwal
* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
surenderpal vaidya
मज़दूरों का पलायन
मज़दूरों का पलायन
Shekhar Chandra Mitra
मुझे अधूरा ही रहने दो....
मुझे अधूरा ही रहने दो....
Santosh Soni
कविता
कविता
Rambali Mishra
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...