Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2017 · 1 min read

कुण्डलिया छंद के बारे में…

प्रिय मित्रो,
मैं आपसे ‘कुण्डलिया छंद’ के बारे में कुछ बातें साझा करना चाहता हूँ.इतना सब जानते हैं कि दोहा-रोला से मिलकर बने छंद को कुण्डलिया कहते हैं,जिसमें दोहे का प्रथम शब्द या पद अंत में आता है और दोहे का उत्तर पद रोला का पूर्व पद होता है.पर सच पूछा जाये तो निर्दोष कुण्डलिया इतनी ही बातों पर सम्पन्न नहीं हो जाती.जैसा कि मैंने पहले कहा कि कुण्डलियाका पहला खंड दोहा होता है ।जिसके तहत प्रथम और तीसरा चरण 13/13 मात्राओं का जो विषम और दूसरा व चौथा चरण 11/11 मात्राओं का जो सम होते हैं और इनमें तुक होता है.यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि विषम चरणों के अंत में जगण (ISI) नहीँ होगा और दो गुरु भी नहीं होगा.देखिये मेरी एक दोषपूर्ण कुण्डलिया-

पढ़ना बेहद ज़रूरी,लिखने से भी पूर्व.
कई बार लिखकर मिटा,रचना बने अपूर्व.
रचना बने अपूर्व,देख ले पहले गाकर.
नाहक नहीं उतार,डायरी में उकताकर.
कह सतीश कविराय,अगर आगे है बढ़ना.
लिखने से भी पूर्व,ज़रूरी समझो पढ़ना.
सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)

जिसके पहले ही विषम पद के अंत में दो गुरु हैं (ज़रूरी=ISS),जो कि नहीं होने चाहिये-भले ही मात्रा १३ हैं पर नियमानुसार दोष है.

अब देखिये सुधरा रूप,जिसे निर्दोष कुण्डलिया के अन्तर्गत रखा जा सकता है-

संशोधित रूप

पढ़ना अति अनिवार्य है,लिखने से भी पूर्व.
कई बार लिखकर मिटा,रचना बने अपूर्व.
रचना बने अपूर्व,देख ले पहले गाकर.
नाहक नहीं उतार,डायरी में उकताकर.
कह सतीश कविराय,अगर आगे है बढ़ना.
लिखने से भी पूर्व,ज़रूरी समझो पढ़ना.
सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)

Language: Hindi
Tag: लेख
715 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वाह टमाटर !!
वाह टमाटर !!
Ahtesham Ahmad
बिन मौसम बरसात
बिन मौसम बरसात
लक्ष्मी सिंह
■ गीत / पधारो मातारानी
■ गीत / पधारो मातारानी
*Author प्रणय प्रभात*
"मुखौटे"
इंदु वर्मा
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
Pramila sultan
💐प्रेम कौतुक-294💐
💐प्रेम कौतुक-294💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ट्रेन दुर्घटना
ट्रेन दुर्घटना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
Dr MusafiR BaithA
साहित्य का पोस्टमार्टम
साहित्य का पोस्टमार्टम
Shekhar Chandra Mitra
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
Anil Mishra Prahari
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
Ram Krishan Rastogi
बालबीर भारत का
बालबीर भारत का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कई रात को भोर किया है
कई रात को भोर किया है
कवि दीपक बवेजा
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
सत्य कुमार प्रेमी
"सुनो"
Dr. Kishan tandon kranti
कमियों पर
कमियों पर
REVA BANDHEY
रूप से कह दो की देखें दूसरों का घर,
रूप से कह दो की देखें दूसरों का घर,
पूर्वार्थ
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
Phool gufran
शिव-शक्ति लास्य
शिव-शक्ति लास्य
ऋचा पाठक पंत
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
Rj Anand Prajapati
क्रिकेटफैन फैमिली
क्रिकेटफैन फैमिली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
Dr. Narendra Valmiki
बेरोजगार
बेरोजगार
Harminder Kaur
दिल में भी
दिल में भी
Dr fauzia Naseem shad
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मुहब्बत की लिखावट में लिखा हर गुल का अफ़साना
मुहब्बत की लिखावट में लिखा हर गुल का अफ़साना
आर.एस. 'प्रीतम'
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मेरे रहबर मेरे मालिक
मेरे रहबर मेरे मालिक
gurudeenverma198
Loading...