Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2017 · 2 min read

कविता : मेरा भारत ऐसा हो

जाति,धर्म,क्षेत्र,का भेद मिटे,इंसानियत-सुर बजे जन में।
सब दिवसों से ऊपर”मंगल दिवस”मनाएंगे तब मन में।।
ग़रीब की आह!मिटकर खुशियों से मन-गागर भर जाए।
कवि की वेदना प्रशन्नचित होकर मंगल गीत फिर गाए।।
भिक्षावृत्ति न रहे हर मनुज आत्मनिर्भर होकर सँवर जाए।
किसान की रुह पीड़ा से ऊभरकर ख़ुशी में हो तर जाए।।
भाईभतीजावाद का सफ़र ज़िंदा जल खाक़ में मिले अब।
भारतीय प्रतिभा निखर-निखर फूले-फले संभले अब।।
माँ,बेटी,बहन का मान सूर्य की चमक-सा चमकने लगे।
हर रिश्ते में चन्द्र-सा नूर हौंसला लेकर अब दमकने लगे।।
अनाथालय,वृद्धाश्रम की जरूरतेंं समाप्त हो जाएं यहाँ।
मानवता की रस्में स्वर्ग सम्पन्न होकर निखर जाएं यहाँ।।
बेटा माँ-बाप को देवी-देव-सा पूजनीय मान मान करे।
माँ-बाप का प्यार पुत्र-पुत्री पर सावन फुहार दान करे।।
बड़े-छोटे की इज़्ज़त आत्मा से करने लगें हम समस्त।
कुरीतियों की समाज से अर्थी उठे मिल जाए राहत।।
प्राण जाए पर वचन न जाए का नारा भरे मन तरंगें।
भारतीय संस्कारों का स्वर पूरे विश्व में उभरे ले उमंगें।।
बापू का रामराज्य का सपना साकार हो उठे जन-जन में।
हर मनुष्य एक-दूसरे को गले लगा हँसे फिर अपनेपन में।।
खेतों की हरियाली-सी घुलमिल जाए अब इंसानी रुहों में।
इंसान उपवन के फूलों-सा खिले तजकर मन समूहों में।।
तीज त्योहार भी इन्द्रधनुषी रंग बिखेरें प्रतिपल प्रतिपग में।
इंसानियत का स्वर उद्यान-सा खिल सुगंध बिखेरे जग में।।
नितप्रति मेघों-से घिर-घिर प्रेम बूँदें हम बरसानें लगें।
देवी-देवता भी धरती पर आने को मन तरसानें लगें।।
त्रिवेणी का संगम मनुज हृदय में हिलोरे ले-ले ऊभरे।
शिक्षा-दीप मनोहर हर हृदय में अब जले उजाला भरे।।
कमल-सी विपरीत परिस्थितियों में मनुज हँसना सीखे।
तेरा-मेरा का राग भूल मानव-मानव हृदय बसना सीखे।।
एक स्वर स्वतंत्रता से पहले आज़ादी का हमने सुना था।
उसी स्वर में एकलय हो संस्कारों का ताना-बाना बुना था।।
कवि मन में प्रेम की संवेदना जागी सदा आज निख़रे भी।
प्रेम की गंगा निर्मलता ले आज कहूँ में बंधु सँवरे भी।।
काश!मेरा भारत हो जिसमें दूध की नदियाँ बहती थीं।
हर राग रागिनी जिसकी उज्ज्वल गाथाएँ ही कहती थीं।।
हम चाहें तो ऐसा हो सकता है हमारा हृदय निर्मल हो।
स्वार्थ का जिसमें कींचित भी बीज न पल्लवित पल हो।।
आओ मन में एक सपना बुनें हम जो स्वर्ग-सा मधुर हो।
प्रेम,सौहार्द,त्याग,विश्वास,भ्रातृत्व,समता रहती जिधर हो।।
…..राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
…..वी.पी.ओ.जमालपुर, तहसील बवानी खेडा,जिला भिवानी, राज्य हरियाणा,पिन-127035
चलभाष:9812818601

Language: Hindi
510 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
आर.एस. 'प्रीतम'
इमारत बड़ी थी वो
इमारत बड़ी थी वो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
2557.पूर्णिका
2557.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जीवन में समय होता हैं
जीवन में समय होता हैं
Neeraj Agarwal
खेलों का महत्व
खेलों का महत्व
विजय कुमार अग्रवाल
महायुद्ध में यूँ पड़ी,
महायुद्ध में यूँ पड़ी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
💐प्रेम कौतुक-260💐
💐प्रेम कौतुक-260💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
विधा - गीत
विधा - गीत
Harminder Kaur
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
काट  रहे  सब  पेड़   नहीं  यह, सोच  रहे  परिणाम भयावह।
काट रहे सब पेड़ नहीं यह, सोच रहे परिणाम भयावह।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
"दलित"
Dr. Kishan tandon kranti
हे राम तुम्हीं कण कण में हो।
हे राम तुम्हीं कण कण में हो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
आश भरी ऑखें
आश भरी ऑखें
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बुलन्द होंसला रखने वाले लोग, कभी डरा नहीं करते
बुलन्द होंसला रखने वाले लोग, कभी डरा नहीं करते
The_dk_poetry
बाज़ार से कोई भी चीज़
बाज़ार से कोई भी चीज़
*Author प्रणय प्रभात*
मैं धरा सी
मैं धरा सी
Surinder blackpen
If your heart is
If your heart is
Vandana maurya
सूर्ययान आदित्य एल 1
सूर्ययान आदित्य एल 1
Mukesh Kumar Sonkar
काश कि ऐसा होता....
काश कि ऐसा होता....
Ajay Kumar Mallah
कछुआ और खरगोश
कछुआ और खरगोश
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*फूलों पर भौंरे दिखे, करते हैं गुंजार* ( कुंडलिया )
*फूलों पर भौंरे दिखे, करते हैं गुंजार* ( कुंडलिया )
Ravi Prakash
गोविंदा श्याम गोपाला
गोविंदा श्याम गोपाला
Bodhisatva kastooriya
अर्जक
अर्जक
Mahender Singh
यही जीवन है ।
यही जीवन है ।
Rohit yadav
बितियाँ बात सुण लेना
बितियाँ बात सुण लेना
Anil chobisa
तस्वीर
तस्वीर
Dr. Seema Varma
जानबूझकर कभी जहर खाया नहीं जाता
जानबूझकर कभी जहर खाया नहीं जाता
सौरभ पाण्डेय
अपनी बेटी को
अपनी बेटी को
gurudeenverma198
फागुन कि फुहार रफ्ता रफ्ता
फागुन कि फुहार रफ्ता रफ्ता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हंसी आ रही है मुझे,अब खुद की बेबसी पर
हंसी आ रही है मुझे,अब खुद की बेबसी पर
Pramila sultan
Loading...