” इस क़दर , शरमाओ ना ” !!
बोलती है ,
बन्द मेरी !
लगे श्वासें ,
ठहरी ठहरी !
साकार सी –
हैं कल्पनाएं !
अब यों ही ,
भरमाओ ना !!
बंध गये हैं ,
मोह पाश !
अब देखकर ,
नये अंदाज़ !
बन्द पलकें –
बांधा समां !
इतनी भी ,
हरषाओ ना !!
नेह के रंग ,
रंग गयी हो !
मनुहार से बंध ,
सी गयी हो !
बन्ध टूटे –
देह निखरी !
अब और यों ,
मदमाओ ना !!