” —————————————- आम हो गयी गाली ” !!
अपशब्दों का दौर चला है , बात बात पर गाली !
हैं विचार स्वाधीन यहां पर , कुछ बटोरते ताली !!
पद की गरिमा भूल गये हैं , करते हैं मनमानी !
हेराफेरी शब्दों की है , होते ट्वीट सवाली !!
फिल्मों में भी चलन बढ़ा है , खूब गालियां बरसे !
खामोशी से सब स्वीकारें , जबरन बनें मवाली !!
सामाजिकता प्रश्न करे है , शिक्षा कैसी हमारी !
आत्मसात हम कर लेते हैं ,आम हो गयी गाली !!
गलती करना आदत सी है , जाने कब सुधरेगें !
समझौता करना सीखा है हम ना हुए बवाली !!
संविधान की सौगातों का , बेजा लाभ लिया है !
दायित्वों का भार न जाने , बस हक की रखवाली !!
बृज व्यास