Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Feb 2017 · 1 min read

II जरूरी है II

आंखों की भाषा से आगे,
बढ़ना जरूरी है l
शब्द ना दे साथ फिर भी,
कहना जरूरी है ll

आंखों का क्या खुशी में भी,
आंसू बहाती है l
आंखों के दरिया से आगे,
निकलना जरूरी है ll

हर घड़ी है इम्तहां,
सोना नहीं अब तो l
हो कठिन राहें मगर,
चलना जरूरी है ll

आस है फिर भी,
एक मुलाकात की l
नामुमकिन नहीं कुछ,
बताना जरूरी हैll

संजय सिंह “सलिल ”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l

Language: Hindi
331 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
साथ
साथ
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सत्य आराधना
सत्य आराधना
Dr.Pratibha Prakash
काश - दीपक नील पदम्
काश - दीपक नील पदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
3255.*पूर्णिका*
3255.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
Kumar lalit
आलता-महावर
आलता-महावर
Pakhi Jain
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जीवन के कुरुक्षेत्र में,
जीवन के कुरुक्षेत्र में,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ایک سفر مجھ میں رواں ہے کب سے
ایک سفر مجھ میں رواں ہے کب سے
Simmy Hasan
एक विचार पर हमेशा गौर कीजियेगा
एक विचार पर हमेशा गौर कीजियेगा
शेखर सिंह
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की याद में लिखी गई एक कविता
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की याद में लिखी गई एक कविता "ओमप्रकाश"
Dr. Narendra Valmiki
कोना मेरे नाम का
कोना मेरे नाम का
Dr.Priya Soni Khare
भारत को निपुण बनाओ
भारत को निपुण बनाओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जिसका हम
जिसका हम
Dr fauzia Naseem shad
💐प्रेम कौतुक-163💐
💐प्रेम कौतुक-163💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जन मन में हो उत्कट चाह
जन मन में हो उत्कट चाह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
तुम ख्वाब हो।
तुम ख्वाब हो।
Taj Mohammad
पहली दस्तक
पहली दस्तक
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
कवि रमेशराज
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
Ravi Prakash
"प्यासा"के गजल
Vijay kumar Pandey
#अभिनंदन
#अभिनंदन
*Author प्रणय प्रभात*
ऐ,चाँद चमकना छोड़ भी,तेरी चाँदनी मुझे बहुत सताती है,
ऐ,चाँद चमकना छोड़ भी,तेरी चाँदनी मुझे बहुत सताती है,
Vishal babu (vishu)
दिनांक:-२३.०२.२३.
दिनांक:-२३.०२.२३.
Pankaj sharma Tarun
झाँका जो इंसान में,
झाँका जो इंसान में,
sushil sarna
मंजर जो भी देखा था कभी सपनों में हमने
मंजर जो भी देखा था कभी सपनों में हमने
कवि दीपक बवेजा
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
गैस कांड की बरसी
गैस कांड की बरसी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
खजुराहो
खजुराहो
Paramita Sarangi
Loading...